एक दोस्त है मेरी
मैं कुछ नहीं जानता उसके बारे में पर ऐसा लगता जैसे सब कुछ जानता हूं
बस महज उसकी आवाज सुनी है शहद से भी मीठी सी
लफ्जों में बयां कर दूं इतनी मेरी औकात नहीं
वो भले कर दे नजरअंदाज मुझे
पर मैं नजरअंदाज कर सकूं उसे इतनी मेरी बिसात नही
ऐ पवन तू बता तुने तो उसे देखा होगा
आ बैठ मेरे पास तु बताती जा मैं उसकी चित्रकारी करूं
क्या कोई तिल है कोई उसके चेहरे पर या मैं ही नजर का टीका लगा दूं
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए उसे साज श्रंगार कर उसे ऐसे सजा दूं
ऐ पवन तुम्हारा अब उधर कब जाना होगा
जब जाओ तो मेरा एक काम कर देना
लौटते वक्त उधर से गर वो खिड़की पर मिले
छूकर उसके कान को धीरे से मेरे नाम की पुकार लगा देना
सुना है दिनकर तुम्हारी किरणों को वो बहुत पसंद करती है
उनसे कहना कि जब उसके चेहरे पर पड़े तो अपना ताप कम कर लें
वह तुम्हें देखती निहारती रहेगी यह मालूम है मुझे
पर तुम अपनी हद में रहना ये मेरी हिदायत है तुझे
@Ankit Saini Odhiyan
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