शीर्षक :- वक़्त

हर वक्त,वक्त के साथ चला हूँ मैं
वक्त मेरे साथ चल देता तो अच्छा होता
दूरियां इतनी न होती हमारे बीच मे
अगर तू वक्त पर अहसास करा देता तो अच्छा होता




वक्त पर मिलना बिछड़ना सब हुआ
एक वक्त था जब इश्क़ हमारा असमा पर था
उन्हें पता था आने वाले वक्त का
ओर हमें उस वक्त अहसास बस उनकी मौजूदगी का था



वक्त की चोखट पर खड़ा हूँ बीते वक्त में जाने के लिए
वो तू है या तेरी परछाई या बस तेरा अहसास है मुझे
छांट छांट कर रखे है मैंने कुछ लिबास तेरे लिए
तू जरा पहन के बता क्या खास है इनमे तेरे लिए


@Ankit Saini Odhiyan
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